देख, टाॅपिक ‘साल 2010 की यादे’,
मन में उठने लगे यादों के ख्याल।
और धीरे-धीरे खंगालने लगी मै,
2010 की प्यारी-सुनहरी याद।।
जब मैंने गुजरे वक्त के गर्भ में,
डाले अपने दोनों हाथ।
तो, साल 2010 में संग रहा,
अच्छे-बुरे परिणामों का साथ।।
साल के शुरू में बनते रहे,
शिक्षा और निरक्षरता पर विचार।
तो कभी खुद हमने छीन लिए,
बच्चों से पढ़ने के अधिकार।।
देख 2010 में देश की,
गरीबी की हालत-हलाल।
इस साल भी कतई नहीं,
बदले इनके दर्दनाक हाल।।
कसाब बना रहा देश का दामाद,
रामजन्म भूमि मंे लड़ते रहे।
जन्म अधिकार व स्वमित्व के लिए,
अब भी अनसुलझे है ये दोनों विचार।।
कभी सड़कों पर नोची गई,
किसी लाड़ली की लाज।
तो कहीं ढकोसलों में सजता रहा,
अमीरों का दिखावटी समाज।।
लूट-पाट के इस साल में,
बेजान हुए हाथ और हथियार।
तो कभी इन्हीं हाथ-हथियार से,
होता रहा बेकसूरों पर अत्याचार।।
गुजरे साल में जहां सानिया की,
शादी बनी अफवाहों का बाजार।
तो वहीं रूचिका को नहीं मिला,
बरसों पुराना अधूरा न्याय।।
हर साल की तरह सूखे ने,
लील लिए किसानों के प्राण।
तो कहीं बाढ़ में डूब गए,
सारे के सारे सुनहरे अरमान।।
बीमार और कुपोषित तन में,
ना बची कोई सेहत की आस।
फिर भी नाज करते रहे हम,
कि देश हमारा है सबसे खास।।
कभी काॅमनवेल्थ तो कभी,
सालभर रहा त्यौहारों का अंबार।
और इन्हीं के साथ रहे,
होनी-अनहोनी के आसार।।
इस साल भी लाखों टन अनाज,
चढ़ा लापरवाही की खाट।
और इसी कारण भूखे-मजबूर किसान,
चढ़ते रहे लकड़ियों पर बनकर लाश।।
इस साल फिर बन गई बिहार में,
नीतिश की दमदार दोबारा सरकार।
संसद नहीं चली घोटालों के कारण,
और धनहानि होती रही बार-बार।।
इस साल भी फिल्मी दुनिया में,
चलता रहा मनोरंजन का राज।
इसी वजह से जल्दी हो गई,
मुन्नी बदनाम और शीला जवान।।
बस... गुजरे हर साल की तरह,
समान लगा मुझे ये साल।
और अब मुझे इंतजार है ठंडे-सुहाने,
‘शुभकामनाओं पूर्ण’ 2011 का अगाज।।
अंजू सिंह (नोएडा)
नमस्कार जी, मैं हूं अंजू सिंह, अभी तक का बस मेरा परिचय इतना ही है। मेरा ब्लाग जैसे नाम से पता चल गया होगा ‘कुछ खास तो नहीं’ बस यही सच है। साधारण सोच के साथ लिखना शुरू किया है और साधारण सोच को शब्दों में बदलना चाहती हूं। सामाजिक और जनचेतना से जुड़े सवालों पर सवाल करना मुझे पसंद है। स्वभाव से कुछ कठोर और बातों से लचीली हूं, फिर भी सबकी सोच को सुनना मुझे रास आता है। अगर आप मेरे लेख को झेल पाएं तो मेरी लेखनी को दम मिलेगा और नहीं झेल पाए तो मुझे और साधारण रूप से लिखने का दम भरना पड़ेगा...
aacha chitran hai bittate sal ka..
जवाब देंहटाएंp4 poetry mae bhi padhi thi app ki yae rachna
congrates